जिन्दगी का साथ
जिन्दगी का साथ
मैं जिन्दगी का साथ
निभाता चला गया...!
और फिक्र को धुएँ में
उडाता चला गया..!!
हर गम में भी मैं
मुस्कराता चला गया...!
और अपने दर्दों को भी
हँसाता चला गया...!!
चाहें हो कोई अनजान मैं उसे
भी अपना बनाता चला गया...!
मंजिल को भी मैं अपनी
राह बताता चला गया...!!
हर मेरी सास पर तेरा
नाम लिखता चला गया...!
और अपने आँसुओं को
पीता चला गया..!!
मैं जिन्दगी का साथ
निभाता चला गया...!
और फिक्र को धुएँ में
उड़ाता चला गया..!