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Rs Markam

Abstract Action Inspirational

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Rs Markam

Abstract Action Inspirational

बेरोजगार युवक

बेरोजगार युवक

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डिग्रियां टंगी दीवार सहारे, 

         मेरिट का ऐतबार नहींं है, 

      सजी है अर्थी नौकरियों की, 

  देश में अब रोज़गार नहींं है। 


शमशान हुए बाज़ार यहां सब, 

  चौपट कारोबार यहां सब, 

   डॉलर पहुंचा आसमान पर, 

     रुपया हुआ लाचार यहां सब, 

       ग्राहक बिन व्यापार नहींं है, 

          देश में अब रोज़गार नहींं है। 


          चाय से चीनी रूठ गई है, 

       दाल से रोटी छूट गई है, 

     साहब खाएं मशरूम की सब्जी, 

   कमर किसान की टूट गई है, 

 है खड़ी फसल ख़रीदार नहींं है, 

देश में अब रोज़गार नहींं है।


दाम सिलेंडर के दूने हो गए,

   कल के हीरो नमूने हो गए,

    मेकअप-वेकअप हो गया महंगा,

       चाँद से मुखड़े सूने हो गए,

         नारी है पर श्रृंगार नहीं है,

            देश मे अब रोज़गार नहीं है।


            साधु-संत व्यापारी हो गए,

          व्यापारी घंटा-धारी हो गए,

        कैद में आंदोलनकारी हो गए,

       सरकार से कोई सरोकार नहीं है,

    युवा मगर लाचार नहीं है

  देश मे अब रोज़गार नहीं है।

देश मे अब रोज़गार नहीं है


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