बेटी परायी नहीं होती
बेटी परायी नहीं होती
पिता :- कन्यादान नहीं करूंगा जाओ
मैं नहीं मानता इसे
क्योंकि मेरी बेटी कोई चीज़ नहींजिसको दान में दे दूँ
मैं बांधता हूँ बेटी तुम्हें एक पवित्र बंधन में
पति के साथ मिलकर निभाना तुम
मैं तुम्हें अलविदा नहीं कह रहा
आज से तुम्हारे दो घरजब जी चाहे आना तुम
जहाँ जा रही होखूब प्यार बरसाना तुम
सब को अपना बनाना तुमपर कभी भी
न मर मर के जीनान जी जी के मरना तुम
तुम अन्नपूर्णा शक्ति रति सब तुम
ज़िंदगी को भरपूर जीना तुम
न तुम बेचारी न अबला
खुद को असहाय कभी न समझना तुम
मैं दान नहीं कर रहा तुम्हें
मोहब्बत के एक और बंधन में बाँध रहा हूँ
उसे बखूबी निभाना तुम
एक नयी सोच एक नयी पहल सभी बेटियां।