तुझे जी भर जिया ए जिंदगी
तुझे जी भर जिया ए जिंदगी
आज तक मैंने तुझे जी भर जिया ए जिंदगी ।
तेरीअज़मत में इज़ाफ़ा ही किया ए जिंदगी ।
आदमी का काम है हर हाल में जीना तुझे ,
सोमरस या ज़हर तू डटकर पिया ए जिंदगी ।
भूख रोटी की मुझे हरगिज हरा पायी नहीं ,। ।
जब उजालों ने मुझे धोखा दिया है राह में ,
तब अँधेरों का सहारा भी लिया ए जिंदगी ।
कौन है खुद ही बता अभिशाप या वरदान तू ?
लोभ माया जाल ने तोड़ा हिया ए जिंदगी ।
दाग चोटों के अभी मौजूद हैं सर ,भाल पर ,
वक्त के आघात को हँस हँस लिया ए जिंदगी ।
मौत तो सच्ची सहेली तू पहेली क्यों हुई ?
गीत ग़ज़लों का बनी तू काफिया ए जिंदगी ।
जुर्म है या है सजा यह प्रश्न "दीपक " पूछता ?
जो भी है सब ठीक है अब सुक्रिया ए जिंदगी ।
