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Deepak Kumar jha

Action

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Deepak Kumar jha

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तुझे जी भर जिया ए जिंदगी

तुझे जी भर जिया ए जिंदगी

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आज तक मैंने तुझे जी भर जिया ए जिंदगी ।

तेरीअज़मत में इज़ाफ़ा ही किया ए जिंदगी ।


आदमी का काम है हर हाल में जीना तुझे ,

सोमरस या ज़हर तू डटकर पिया ए जिंदगी ।


भूख रोटी की मुझे हरगिज हरा पायी नहीं ,। ।


जब उजालों ने मुझे धोखा दिया है राह में ,

तब अँधेरों का सहारा भी लिया ए जिंदगी ।


कौन है खुद ही बता अभिशाप या वरदान तू ?

लोभ माया जाल ने तोड़ा हिया ए जिंदगी ।


दाग चोटों के अभी मौजूद हैं सर ,भाल पर ,

वक्त के आघात को हँस हँस लिया ए जिंदगी ।


मौत तो सच्ची सहेली तू पहेली क्यों हुई ?

गीत ग़ज़लों का बनी तू काफिया ए जिंदगी ।


जुर्म है या है सजा यह प्रश्न "दीपक " पूछता ?

जो भी है सब ठीक है अब सुक्रिया ए जिंदगी ।


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