मौत कितनी हसीन होती है
मौत कितनी हसीन होती है
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ज़िन्दगी में दो मिनट कोई मेरे पास ना बैठा
आज़ सब मेरे पास बैठे जा रहे हैं।
कोई तोहफा ना मिला आज तक
आज़ फूल ही फूल दिए जा रहे हैं
तरस गए थे हम किसी एक हाथ के लिए
और आज कंधे से कंधे दिए जा रहे हैं
दो कदम साथ चलने
को तैयार ना था कोई और आज
काफ़िला बन साथ चले जा रहे थे
आज़ पता चला कि मौत कितनी
हसीन होती है कम्बखत हम तो यूं
ज़िन्दगी जिए जा रहे थे।