Deepak Kumar jha
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"मैं जानता हूँ, मैं अर्जुन नहीं, मेरे रथ का सारथी माधव नहीं।मगर हर किस्सा याद रखा जाएगा, मेरे साथ हुए हर छल का उत्तर दिया जाएगा।"
अर्जुन नहीं
नहीं
छंद:
इंसान को डसने...
तुझे जी भर जि...
सेना का दुरुप...
चंदा मामा कवि...
मेरे कृष्णा
प्रेम ने मृत्...
मौत कितनी हसी...
इस आश में बैठे हैं कुछ को धन घमंड बात बात पे ऐंठे हैं। इस आश में बैठे हैं कुछ को धन घमंड बात बात पे ऐंठे हैं।
मैं जिन्दगी का साथ निभाता चला गया...! और फिक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया..! मैं जिन्दगी का साथ निभाता चला गया...! और फिक्र को धुएँ में उड़ाता च...
जब भी मिलोगे खुद से तब मान जाओगे ये आग हो य़ा पानी क्यूँ इतनी प्यास हो ! जब भी मिलोगे खुद से तब मान जाओगे ये आग हो य़ा पानी क्यूँ इतनी प्यास ह...
बंदगी ये अपनी नहीं पर सबकी जुबानी है। बंदगी ये अपनी नहीं पर सबकी जुबानी है।
मैं कहीं कवि न बन जाऊं तेरे प्यार में ऐ कविता मैं कहीं कवि न बन जाऊं..... मैं कहीं कवि न बन जाऊं तेरे प्यार में ऐ कविता मैं कहीं कवि न बन जाऊं....
आत्मसात न कर लेना तुम स्त्रियों के अपने अपमान को। आत्मसात न कर लेना तुम स्त्रियों के अपने अपमान को।
काया को काला करके, अम्बर समझकर ओढ़ ली अपने ऊपर। काया को काला करके, अम्बर समझकर ओढ़ ली अपने ऊपर।
देती हैं तन-मन को बहु पीड़ाएं, व्याधियां मूल में जिनके तनाव। देती हैं तन-मन को बहु पीड़ाएं, व्याधियां मूल में जिनके तनाव।
बहस का हिस्सा बनना सोये सोये बहस करने जैसा है और हम जाग रहे हैं। बहस का हिस्सा बनना सोये सोये बहस करने जैसा है और हम जाग रहे हैं।
मैं बनकर ख्याल मुझे अबखुद अपना रखना है। मैं बनकर ख्याल मुझे अबखुद अपना रखना है।
वरना ताउम्र तेरे एक पल के दीदार को हर पल तरसता रहेगा ये मनवा। वरना ताउम्र तेरे एक पल के दीदार को हर पल तरसता रहेगा ये मनवा।
पवित्र अग्नि के समक्ष सत्कर्मों की राह चलने का प्रण। पवित्र अग्नि के समक्ष सत्कर्मों की राह चलने का प्रण।
माटी का तन है माटी हो जायेगा य़ादों मे बस उतना है ज़ितना बड़ा आदर है ! माटी का तन है माटी हो जायेगा य़ादों मे बस उतना है ज़ितना बड़ा आदर है !
शादी हो तो बेटा हो, वरना भ्रूण हत्या का शिकार, बस यही है अधिकार, शादी हो तो बेटा हो, वरना भ्रूण हत्या का शिकार, बस यही है अधिकार,
मौत से लड़ते हुए, सर्द हवा में कांपते हुए, दो रोटी के लिए डंडे खाते हुए, मौत से लड़ते हुए, सर्द हवा में कांपते हुए, दो रोटी के लिए डंडे खाते हुए,
परचम है तेरे हाथ में तो फहरा उसे देख बाद में परचम बचेगा तू नहीं। परचम है तेरे हाथ में तो फहरा उसे देख बाद में परचम बचेगा तू नहीं।
ऊँची उठी निगाहों से पुरुषों के इरादों का कत्ल कर डालेंगी। ऊँची उठी निगाहों से पुरुषों के इरादों का कत्ल कर डालेंगी।
हम प्यार मोहब्बत के बल पर, नफरत को नहीं बढ़ने देंगे। हम प्यार मोहब्बत के बल पर, नफरत को नहीं बढ़ने देंगे।
आज चले मिल जुल इस दानव को हराये हम आज चले मिल जुल इस दानव को हराये हम
खामोश होके भी बहुत कुछ कह जाती है ये खामोशी है ना ...? खामोश होके भी बहुत कुछ कह जाती है ये खामोशी है ना ...?