न तुम थे, न हम थे
न तुम थे, न हम थे
जो बीत गई पुरानी कहानियां।
इश्क़ के साए में पड़े थे।
कभी तालियां बजाते थे, खुशी के नगमों पर।
कभी सिसक सिसक कर रो लेते थे, अपने ही सोच पर।
अनजान थे वो सफ़र में कोई न मिला।
घुट घुट कर टेक दिए घुटने को, वो दे गया सिला।
छोड़ दिए उन राहों को जो ज़ख्म के प्याला भरा।
अब नहीं लौट सकते जिंदगी बनी हरे से खरा।
न कसूर था मेरा, न कसूर था तेरा।
समय ही सब कुछ कर दिया।
कमजोर दिल था, बेतर जिंदगी थी।
कुछ कहने से पहले गलतियां कर दिया।
तुम छोड़ दो उन किश्तियों को, जो समंदर में डूबी हुई है।
अब साथ नहीं देगी अपने बांहों में,
वो पहले से ही रूठी हुई है।
कांटे से प्यार करते थे, फूलों के ख़ुशबू कैसे पाएंगे।
अब नहीं करो कुछ ऐसी बातों को,
नहीं तो रात दिन रुलाएंगे।