नर नारी
नर नारी
कुछ याद आज भी आये हो,
यादों का लम्हा लाये हो।
चले गए तुम तो,
कुछ भी तुमको याद नहीं,
न वादे, न वो बाते,
कुछ भी तुमको याद नहीं,
भूल गए या छल था,
प्रेम तुम्हारा बस केवल
देह देह ही करता था,
तन को ही बस प्रेम समझ
बस भोले मन को छलता था,
उन अनगिनत अश्रुओं का,
क्या मोल चुका पायोगे,
जो छलके इन नैनों से,
क्या कभी समझ भी पयोगे,
मन से अश्रु निकले,
उनका तो कोई मोल नही,
इस नारी के जीवन का
तुझे कुछ भी भान नहीं,
कितना त्याग किया है तुझ पर,
न कभी ये जानोगे,
एक भौरे से फिर दूजा पुष्प
खोजने चले जाओगे,
बस कुछ पल बिता वहाँ,
भूल उसे भी जाओगे,
यही पुष्प भौरे सी ही,
नर नारी की कहानी हैं,
नर खोजे नित पुष्प नए,
नारी ने कांटों में मुस्काने की ठानी है।