एकता के रंग
एकता के रंग
क्यूं ना इस नफ़रत को प्रीत के रंग से भरा जाएं
हर मज़हब को सिर्फ़ इंसान का रूप दिखाकर मुंह मीठा कराया जाएं
हम इंसानियत की इज़्ज़त कर साथ है बस ये कहकर बताया जाएं
रंग बदलने वालो को अब समझाया जाएं
हम इंसान है कोई रंग नहीं जो चढ़ते उतरते रहे
दोगले लोगों से ज़रा दूरी तय कर अपने से मिला आया जाएं
हर्षिता अपने रूह के रंग श्वेत से दिखावे की प्रीत नहीं
एकता के प्रतीक से इन्हीं रंगों में मिल कर
उन्हीं के रंग कर मिसाल कायम की जाएं।