किसी की मोहताज नहीं .मेरी पहचान
किसी की मोहताज नहीं .मेरी पहचान
मेरे माह के लहू से बनी सृष्टि
असहनीय दर्द सह,जन्मती नन्ही जान
किसी की मोहताज नहीं...मेरी पहचान
अब चाँद,फूल,कोमल न बन
लाडो नाम रोशन कर रही कुश्ती,बैड्मिंटन,क्रिकेट
और भेदकर आसमान...(किसी....मेरी पहचान)
क्या मोल है क्या अस्तित्व
अलंकार का शाब्दिक अर्थ मेरे आभूषण समान
मेरे बिना न ऋँगार,वात्सल्य रस का मान(किसी..मेरी पहचान)
अब न सुनना बस अपनी मन की करना
कौन होते पहचान दिलाने वाले स्वयं पाऊँगी अपना सम्मान
इस धरा की मैं शक्ति मैं गुमान..(किसी...मेरी पहचान)
