खामोशी
खामोशी
खामोशी कभी दर्द देती है तो कभी मलहम
वक्त का पहिया साथ होता है हरदम
कभी खुशी का पैगाम लाती है
तो कभी दर्द भरी चुबन दे जाती है
हालात पे निर्भर होती है हरदम
जुबा पर नही दिल मे केहे जाती कुछ ज्यादा कम
उसके पेहलू होते है अलग अलग
कभी राज दबाये तो कभी इन्साफ दिलाए
कभी बिक जाती सबूत की तौर पर
तो कभी चुप रहने पे मजबूर हो जाती
क्या करे उसकी कीमत होती भी और नही भी पर
वक्त का पहिया साथ होता है हरदम
खामोश होके भी बहुत कुछ
कह जाती है ये खामोशी है ना ...?