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Chandra prabha Kumar

Action

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Chandra prabha Kumar

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ऋतुराज का रंगोत्सव

ऋतुराज का रंगोत्सव

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  बुरांश की लालिमा सब ओर छाई है,

  सब ओर चटक फूलों की छटा छाई है,

  फूलों का मौसम है रंगों की बहार है,

  उस पर रंगीली होली का त्योहार है। 


  बुरांश के रक्तिम पुष्पों की है अपनी शान,

  लेकर गंध केवड़े की पवन फिरे हैरान,

  गुलाब फूलों का राजा,लिली फूल की रानी,

  सुर्ख़ रंग गुलाब और सुर्ख़ रंग लिली रानी।


  टेसू के रंग से दहका जंगल सारा,

  तप्त अनल का रंग फैलाता टेसू प्यारा,

  फल फूल खिले ,केसर की ख़ुशबू फैले,

  टेसू रंग भरी पिचकारी ,होली का रंग दमके।


  अल्पना अबीर गुलाल से सजते घर आँगन,

  गुझिया मालपुए से भोग लगा है घर घर,

   वसन्त का रंग बरसे ,भीगे प्रकृति सारी,

   नया अन्न है खेतों में ,पकी गेहूँ की बाली।


   घर घर है उत्सव , नव सम्वत् की तैयारी,

   सरस्वती पूजा से बरसा जो वासंती रंग,

   नवरात्र शक्तिपूजा से बदलेगा अपना रंग,

   सौभाग्य,शक्ति ,आत्मविश्वास का संग। 

   

   प्रकृति ने खोला अपना मधु का भण्डार,

   कुसमाकर ने रंगों से भर दी सबकी झोली,

   धीरे धीरे मुकुलित होने लगे सोये सुमन,

   मानो जादू की छड़ी से जागा प्रान्तर सारा।


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