इश्क का उसूल
इश्क का उसूल
लगता है मैं इश्क हमेशा करता रहूंगा,
कल भी मैं तुझ से नजर मिलाता था और,
आगे भी नजर मैं मिलाता ही रहूंगा।
लगता है की ये दिल धड़कता रहेगा,
कल भी वो तेरे लिये धड़कता था और,
आगे भी दिल तेरे लिये धड़कता ही रहेगा।
लगता है की मैं तुझ से मिलता रहूंगा,
कल तक भी मैं तुझे मिलता था और,
आगे भी तुझ से मिलन करता ही रहूंगा।
लगता है की मैं तेरे अल्फाज़ सुनता रहूंगा,
कल तक सुन कर मैं गज़ल लिखता था और,
आगे भी तेरी गज़ल मैं लिखता ही रहूंगा।
लगता है की मैं तेरे लिये तड़पता रहूंगा,
कल तक मैं तेरा इन्तज़ार करता था "मुरली" लेकिन,
आग मे तुझे दिल में बसाकर ही रहूंगा।