फरेब
फरेब
बेवफ़ा को अलविदा मैं कर रहा हूं,
उसके फरेब से बाहर निकल रहा हूं,
फरेबी इश्क को हमेशा भूलने के लिये,
अपने मन को मैं बहुत समझा रहा हूं।
फरेब की पीड़ा से मैं जल रहा हूं,
आंखों के आंसुओं को मैं मिटा रहा हूं,
उसकी तस्वीर दिल से हटाने के लिये,
अपने दिल का हौसला मैं बढ़ा रहा हूं।
फरेबी इश्क को मैं पहचान गया हूं,
अब सावधान बनकर मैं चल रहा हूं,
फरेबी इश्क की जाल से बचने के लिये,
सोच समझकर कदम मैं रख रहा हूं।
नये इश्क का दस्तावेज मैं लिख रहा हूं,
खामोशी के खत को मैं जला रहा हूं,
नये इश्क का इतिहास लिखने के लिये "मुरली",
इश्क की पवित्र स्याही मैं ढूंढ रहा हूं।