दिलसे करीब
दिलसे करीब
मैं रोज रोज तुझे मिलता हूं,
मैं तेरे इश्क में खो जाता हूं,
फिर भी दुनिया कहती है की,
मैं तेरे दिल से करीब नहीं हूं।
मैं नजर से नजर मिलाता हूं,
मैं इश्क की ज़ाम छलकाता हूं,
ज़ाम के घूंट मेरे गले उतारकर,
मैं हमेशा मदहोश बन जाता हूं।
मैं तेरे दिल से दिल मिलाता हूं,
मैं तेरे इश्क की गज़ल गाता हूं,
फिर भी दुनिया कहती है की,
मैं तेरे दिल से करीब नहीं हूं।
मैं तेरे इश्क की इबादत करता हूं,
मैं तुझे इश्क की मूरत मानता हूं,
तेरी तस्वीर को मेरे दिल में बसाकर,
मैं रात दिन तुझे याद करता हूं।
मैं तेरे इश्क का फरिश्ता बना हूं,
"मुरली" इश्क की तुझे सुनाता हूं,
फिर भी दुनिया कहती है की,
मैं तेरे दिल से करीब नहीं हूं।