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मैने देखा है !

मैने देखा है !

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जिंदगी के हसीन लम्हों में

मैने कुछ ऐसे पलों को देखा है,

लोगों की अमीरी में भी

उनको गरीब देखा है।


मैने जिंदगी की कई सच्चाइयों को

करीब से देखा है !


मैने इस ज़माने को हरदम

दूसरो पर बोलते देखा है,

खुद के वजन का पता नहीं,

अक्सर इन्हें दूसरों का

वजन तोलते देखा है !


अमीरों के रास्ते से

गरीबों को हटते देखा है,

पर महंगे से महंगे पतंगों को

बड़ी ऊँचाई से कटते देखा है !


उर्दू को हिंदी से दूर होते देखा है

लड़ते होंगे ये सारी दुनिया के आगे,

अकेले मे इन्हें

एक-दूसरे के लिए रोते देखा है !


नफरत की लकीरों को

हरदम लाँघते देखा है,

हिन्दू अलग है, मुसलमान अलग है,

पर मुसीबत के समय इन दोनों को

उस एक ही आसमान से मदद

माँगते देखा है !


ज़माने से 'भरोसा ' शब्द छूटते देखा है,

अब अपनों से भरोसा टूटते देखा है,

चोर तो यूँ ही बदनाम है जनाब,

अक्सर घरवालों को ही घर लूटते देखा है !


यहाँ के किसानों को अपनी आँखों में

दुखों की फसल उगाते देखा है

ना बेचते, ना बाँटते,

अक्सर इन्हें ही खुद खाते देखा है !


जिंदगी की इस अदालत मे

हरदम खुद को ही फंसते देखा है,

अपनी ही हार पे अक्सर

अपने ही वकीलों को हँसते देखा है !


धन को ही रिश्ते सजाते देखा है,

कौन कहता है बाजार में

खुशियाँ नहीं बिकती ?

मैंने मेहनत को

पैसों के आगे नाचते देखा है !


जिनके पास है सिक्के अक्सर

उन्हीं को बारिश में भीगते देखा है,

नोट वालो को तो

घर मे बैठ कर भी "छींकते " देखा है !


इस ज़माने को देख इस नन्ही आँखों

ने बहुत से पलो को सेंका है ,

सच मे इस छोटी सी उम्र में

मैंने बहुत कुछ देखा है !


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