आजादी !
आजादी !
इन खुले आसमानो में कुछ को उड़ना है,
तो कुछ मिट्टी में दब जाने को राजी है,
यही तो आजादी है !
देखो उन उड़ते परिंदो को,
जिन्हे ना ही पतंगों से कोई शिकायत है,
जानकर भी की 'उनसे' ज्यादा हमारी आबादी है,
यही तो आजादी है !
शेर का बच्चा करने निकलता शिकार है,
शेर फिर भी ना होता परेशान है,
जानकर भी की उसकी उम्र
तज़ुर्बे से आधी है,
यही तो आजादी है !
ये बादल जो बेखौफ होकर गरजते हैं,
बिना डरे बरसते हैं,
जानकर भी की ज्यादा बरसना 'नीचे' बर्बादी है,
यही तो आजादी है !
कभी देखो हिमालय की चोटियों को
जो आसमानों को आँख दिखती है
जानकर भी की आसमान की ऊँचाई
उनसे ज्यादा है,
यही तो आजादी है !
अक्सर जो जिंदगी में
परेशानियों से बिना डरे रहते हैं,
उन्हीं को 'आजाद' कहते हैं !