कल आज और कल
कल आज और कल
अतीत की पीढ़ी की कुछ दास्तां ही अजीब थी
पैसों से ग़रीब थी पर दिल से करीब थी।
कई परिवार इकट्ठा रहते थे, सुख दुःख बांटते थे ,
बड़ों का बुरा नहीं लगता था जब वो डांटते थे।
रूखी सूखी खाकर भी खुश रहते थे ,
दूसरों के दुख में भी आँसू बहते थे।
पढ़ते सिर्फ स्कूल में थे उसके बाद दोस्तों में मस्त थे,
छुट्टियों में हर वक़्त बस खेलने में व्यस्त थे।
शुगर, बी.पी. का नाम तो कभी सुना ही नहीं था ,
बुखार होने पर पुड़िया देने वाला वैद्य ही सही था।
स्कूल जाने के लिए मीलों भागे जाते थे,
जिनके पास साइकिल था वो तो अमीर
कहलाते थे।
अब शायद दुनिया बुद्धिमान हो गयी है ,
थोड़ी लालची और थोड़ी बेईमान हो गई है।
दो भाई एक घर में रहते भी हैं तो लगता
नहीं एक साथ हैं ,
छोटी छोटी बात पे करते दो दो हाथ हैं।
चालीस के बाद मानो सभी को शुगर,
बी. पी. की बीमारी है,
शारीरिक मेहनत हम करते नहीं बस
दिमाग की मेहनत जारी है।
पढ़ाई का बोझ इतना ज्यादा है ,
आगे जाने के लिए बच्चा कुछ भी करने को
आमादा है।
कारों में चलते हैं, ऐ. सी. की हवा खाते हैं,
कमरों में बंद रहते हैं, खुली छत पे कभी
कभार ही जाते हैं।
आगे आने वाला कल न जाने कैसा होगा ,
आदमी शायद किसी रोबोट के जैसा होगा।
पैसा बहुत होगा, काफी बुद्धिमान होगा,
दूसरे ग्रहों पर भी जीवन होगा, वहां जाना
बहुत आसान होगा।
हवा में चलती कार शायद एक आम बात होगी,
अंतरिक्ष में लोग रहते होंगे, पता नहीं कब दिन
और कब रात होगी।
पर थोड़ा डर लगता है लालच में आदमी कहीं
हैवान न बन जाए ,
आपस में लड़ लड़ कर जहनुम्म ये जहाँ न बन जाए।