STORYMIRROR

Salil Saroj

Tragedy

4  

Salil Saroj

Tragedy

चुनाव

चुनाव

2 mins
190

बापू अगर तुम वापस आ रहे हो

तो एक बार जरूर सोचना

और देखना

तुम्हारे आदर्शों की आज 

क्या स्थिति है।


उन्हें किस प्रकार

चुनौतियाँ दी जा रही हैं

तुम्हारी समयातीत बातें

अब और

अच्छी नहीं लगती हैं

नए "विकसित"भारत को।


तुम्हारे चश्मे का 

खूब इस्तेमाल हो रहा है

भारत को उल्टा देखने 

और दिखाने में

तुमने कभी बताया नहीं कि

तुम्हारे चश्मे में तिलिस्म भी है,


जिसके पहनते ही 

सब साफ और स्वच्छ 

दिखने लगता है

देश मल-मूत्र से निकलकर

स्विट्ज़रलैंड सरीखे लगता है।


और तुम्हारी छड़ी

जिसे तुमने बिना उठाए ही

अंग्रेजों को खदेड़ दिया था

और जिसे पकड़ कर

अगली पीढ़ी को तुम 

अहिंसा के मार्ग पर

ले जाना चाहते थे।


आज वही छड़ी लिप्त है

दबे-कुचलों को डराने में

कठघरे में खड़ा है

अपने मूल सिद्धान्तों को ले कर

और गरज पड़ता है,

 

रोज़ ही मलिनों पर

दलितों पर, किसानों पर

छात्रों पर और

तुम्हारे खुद के ही आदर्शों पर


तुम्हारी धोती अब 

नए फैशन में आकर

खूब चलती है

शादी, उत्सव और बाज़ारों में

हालाँकि उन्हें

गरीबी, भूखमरी

अराजकता, मजलूमों से

कोई सरोकार नहीं है,


बस तुम जैसे प्रतीत होने का

थोड़ा "शौक" है

और हाँ

सरकार इसे बेचने को

बिल्कुल प्रतिबद्ध है

परन्तु इसका अस्तित्व

राजनीतिक सत्ता के मध्य है


जो घड़ी तुम

कमर से लटकाकर

बड़े ही इत्मीनान से चलते थे

और भविष्य की गतिविधियाँ

तय कर देते थे

आज इस घड़ी को तोड़कर

समय को पीछे ले जाने की

पूरी तैयारी है।


इतिहास की बाँह मरोड़ कर

उसे अँधा करने की खुमारी है

और वो दिन भी

जल्द ही आ रहा है

जब तुम बिल्कुल 

भुला दिए जाओगे,


किताब से, मूर्तियों से

संविधान से और तुम्हारे बदले

अमर कर दिए जाएँगे

तुम्हारे ही हत्यारे

क्योंकि अब तुम्हारी

प्रासांगिकता हाशिये पर है

और तुम्हारी जरूरत बस

चुनावों तक ही "सीमित" है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy