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Kanchan Shukla

Abstract

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Kanchan Shukla

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प्रश्न और एकांत

प्रश्न और एकांत

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एक स्त्री जब एकांत वास करती है,

तब स्वयं से प्रश्न पूछती है,

तुम कौन हो ?

क्या तुम एक जीवित प्राणी हो ?

क्या तुम्हारा अस्तित्व है ?


या तुम जड़ हो ?

क्या तुम्हारी भावनाओं का कोई मोल है ?

क्या तुम्हारी इच्छाओं का सम्मान है ?

क्या स्वेच्छा से कोई निर्णय लेने का तुम्हें अधिकार है ?

इन प्रश्नों को स्वयं से पूछों ?


तुम्हें तुम्हारे सभी प्रश्नों के उत्तर प्राप्त होंगे,

यह तुम्हें भी ज्ञात है उत्तर क्या होगा ?

उत्तर मिलेगा, नहीं ?

तुम्हें इस नहीं को हां में बदलना है,

अपने अस्तित्व की लड़ाई स्वयं लड़नी है,

हर नारी को नारी का सम्मान करना है,

उसके अस्तित्व की रक्षा के लिए,

स्वयं उसका हथियार बनना है,

तुम एकांत में खुद से ही प्रश्न करो ?

स्वयं ही प्रश्नों को हल करो,


उत्तर तुम्हें मिल जाएगा,

तुम्हारे एकांत वास का,

खुद ही विवेचन हो जाएगा ,

तुम्हें तुम्हारी आंतरिक शक्तियों का,


खुद आभास हो जाएगा,

एकांत में स्वयं से परिचर्चा करने से,

आत्मज्ञान का साक्षात्कार होता है,

मन के एकांत में छुपा प्रकाश,

स्वयं के अस्तित्व को आलौकिक करता है।।


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