स्त्री का आत्मविश्वास
स्त्री का आत्मविश्वास
आत्मज्ञान सा हो गया जबसे हुआ है ब्याह,
कोई ऐसा काम नहीं जो बहू से न हो पाय।
पहले थी में छुईमुई सी तनक में देती कुम्लाय,
अब हो गई मजबूत मैं,
जल्दी से कोई बात असर न करपाय।
ताने बातें सुन-सुनकर हो गई मैं मजबूत,
आत्मबल अब इतना है कि लेती खुदको समझाय।
बहू हूँ मैं, अपनी पैरवी खुदकर लेती हूँ।
अपने आत्मविश्वास से खुश सब को कर देती हूँ।
परध्यान रखना ठेस न पहुंचे,स्त्री के आत्मसम्मान को।
एक स्त्री हो तुम दूसरी स्त्री का आत्मविश्वास हो,
आत्मसात न कर लेना तुम स्त्रियों के अपने अपमान को।
