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Anita Koiri

Abstract Classics Inspirational

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Anita Koiri

Abstract Classics Inspirational

वीर भोग्या वसुंधरा

वीर भोग्या वसुंधरा

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अबला निर्बला की परिभाषाओं से

तुम मुझे रोज गढ़ते हो


ज्ञानी हो वीर हो तुम मगर

मेरा ऐसा चित्रण हरदम करते हो


वीर भोग्या वसुंधरा का ढोंग रचते हो

और मुझे नौ रात्रों में कन्या बनाकर पूजते हो


ज्ञानियों की दुनिया में योनियों की कोई कीमत नहीं

प्रेम भाव निष्ठा भाव की कोई कद्र नहीं


ये दुनिया ये समाज ऐसा ही रहा हमेशा

चाहें मैं रही, वो रही या वो आनेवाली रहेगी


न दुनिया बदलेगी न इसकी स्त्रीयों के

लिए परिभाषा में बदलाव किया जाएगा।


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