हरफन
हरफन
कुछ हादसों से गुज़रा हुआ
एक सूखा हुआ सैलाब हूं मैं
हर नींद की दस्तक पर सर टेक आया
बेरंग कहानियों का एक ख्वाब हूं मैं
कुछ उजड़े शहर देखे मैंने
बंजर बागों में भी टहला थोड़ा
इन एहसासों के खंडहरों की चुभती खामोशी में
गुनगुनाता फिरता एक फनकार हूं मैं
मैं ही हूं जो तबाह होता
करता जश्ने तबाही की मैं ही मेजबानी
मुस्कुराते फिरता तो हूं इन बिखरे रास्तों पे
बस कोई पीछे से ना पुकार ले मुझे हरफनमौला