STORYMIRROR

Ritu Rose

Romance

4  

Ritu Rose

Romance

जरूरी

जरूरी

1 min
388


कभी हो ना सकी यह किसी की होना सकी पूरी

बेशक से धड़कते हो दिल चाहते होती हैं अधूरी


बड़े मेहरवा हुए हो आजकल चल छोड़ो मेरा आंचल

क्यों इतना सताने लगे हो सताने लगे हो पल पल

यह चांद है किसी और का बना कर रखना दूरी

कभी.....

बेशक....…


माथे की मेरी बिंदिया मारे है लश्कारे

क्यों किसने कहा था आकर मुझ पर क्यों दिल हारे

मेरी आंखों में काजल है मांग भी है सिंदरी

कभी.......

बेशक......


मेरी धड़कन है उनके लिए मेरा उनके लिए है प्यार

खुशियों भरी है दुनिया मत करना मेरा इंतजार

मेरा उनका समर्पण है सब कुछ नहीं मेरी कोई मजबूरी

कभी.......

 बेशक....….


मेरा दिल ही मेरा आईना है बस उनका ही चेहरा दिखता है

मेरी सांसों में है वह समाए मेरे दिल को वह भाता है

कहीं कुछ ना समझ ले तू यह बताना है मेरा जरूरी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance