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Ritu Rose

Tragedy

4  

Ritu Rose

Tragedy

तन्हा तन्हा

तन्हा तन्हा

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क्यों तन्हा तन्हा रहने लगे तन्हाई का आलम

सब कुछ बदल गया बिल्कुल अकेले हैं हम


रौनकें हैं जिंदगी में सवारियां है मस्ती में

जाकर साहिल से टकराई ऐसा बैठे हम किस्ती में

हम देखते रह गए जो पल में हुआ खत्म

क्यो.....

सब.....


वह पल इतने तनहा थे इतना था अंधेरा

हम सोचते ही रह गए वह हाथ छूडा गए मेरा

लब्ब लेते रहे इस शिश्किया आंखें हो गई थी नम

क्यो......

सब.....


सीने में छुपाए हैं नहीं कभी बताए हैं

नहीं पूछने वाला कोई हम कितने सताए हैं

इस हंसते हुए चेहरे के पीछे होंगे कितने गम

क्यों....

सब....


इन गमों को भी हम खुशियों में बदल देंगे

जहां गम दिखेंगे हमको हम हंसकर चल देंगे

हम जी लेंगे जिंदगी को हम में है इतना दम।


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