हौसलों की उड़ान
हौसलों की उड़ान
आंखें उठा कर देख ऊपर नीला आसमान है
काहे मन मार बैठी
भर ले हौसलों की उड़ान है
कब तक पिसती रहेगी दो पाटो के बीच में
थोड़ा सा जी खुद के लिए
औरों को देती सीख में
छोटी-छोटी बातों को लेकर जाती हो हताश
खुशियों को जी कर तो देख क्यों रहती है निराश
जो बन गए इतिहास में हौसलों की उड़ान है
पढ़ कर देखना एक एक शब्द गाते उनका गुणगान है
जहां हार गए यह दुनिया वाले
वहां से शुरुआत उन्होंने की
पंख फैला कर उड़ने लगे जब हौसलों की उड़ान भरी।
