खुद को चराग़ करो
खुद को चराग़ करो
तिलमिला के यूँ न मेरे उरूज बर्बाद करो
जाओ मियां जाओ पहले खुद को चराग़ करो
मिट गए है हाथों की लकीरें मुझ पे कीचड़ उछाल
मसलन बिना वक़्त गवाए इन्हें ज़रा आराम दो
खुद की रुसवाइयाँ नीलाम पड़ी है
मुझसे पहले इसे तो आजाद करो
माना पैनी नजर है तुम्हारी
एक चूक भी मेरी मुस्कान है तुम्हारी
मगर खबर नहीं तुम्हें यही मुस्कान रसाले है तुम्हारी
जबीं ऊंचा कर यूँ न दूर से शब्द निकाला करो
मियां मुझ पे कीचड़ फेंकने से पहले
मुझ तक तो सही से पहुँच जाया करो
जीस्त सितम का जो तुम बना रखे हो
मुनासिब है जहन्नुम भी इससे खूबसूरत दिखती होगी
खैर करना ही है बदनाम मुझे तो सिरे से करो
पाक नियत से कह रहा मियां पूरी तवज्जोह दूँगा
तिलमिला के यूँ न मेरे उरूज बर्बाद करो
जाओ मियां जाओ पहले खुद को चराग़ करो।