क्या क्या हुआ चाहती है.....
क्या क्या हुआ चाहती है.....
हर दिल ए अज़ीज़ हुआ चाहती है
गिरते शबाब नौ खैज़ हुआ चाहती हैं ---- 01
गिरते शबाब ( गिरती जवानी )
नौ खैज़ ( जवान )
आब ओ शबनम की रंग ओ बू में
कई खाक ए जरखैज़ हुआ चाहती है ----- 02
खाक ए जरखैज़ ( उपजाऊ मिट्टी )
बे आबरू इश्क़ ए बे वफ़ा बा खुदी में
बा आबरू ए परवेज़ हुआ चाहती है ----- 03
बा खुदी ( घमंड के साथ )
बा आबरू ए परवेज़ ( बादशाहि इज़्ज़त व अंदाज़ )
ताब अ क़मर व रश्क ए अंजुमन में
बे पर्दा महव ए आमोज़ हुआ चाहती हैं ---- 04
बे पर्दा महव ए आमोज़ ( बे पर्दा पर्दा सीखने में मशरूफ )
जुस्तजू ए कत्ल ए कातिलाना निगाह
शमशीर खूं ए मआरेज़ हुआ चाहती है ---- 05
खूं ए मआरेज़ ( खून से लत पत )
रंग ब रंगी बे खार गुलो को देख कर
सरवत ए रंग
ए रंगरेज़ हुआ चाहती है ---- 06
सरवत ए रंग ए रंगरेज़ ( शोहरतमंद रंग रंगने वाले , रंग रंगने में महारत रखने वाले )
गूं ब गूं गो म गो में निकलते नहीं तेवर
बे तेवरी खंजर ए चंगेज़ हुआ चाहती है ---- 07
गूं ब गूं ( डर से डरकर )
गो म गो ( बात पर बात )
खंजर ए चंगेज़ ( चंगेज़ खान का खंजर )
दर ब दर जा ब जा कु ब कु घूम कर
खुद दिल ए ख़ुद आवेज़ हुआ चाहती है ---- 08
खुद दिल ए ख़ुद आवेज़ ( खुद दिल को खुद से पेश करने वाला )
रंज ओ अलम में देख तिरछी निगाह से
बा खुश ए गम अंगेज़ हुआ चाहती है ---- 09
बा खुश ए गम अंगेज़ ( खुशी के साथ दर्द बढ़ाने वाला )
मयखाने में गम को भुलाए केसे 'हसन'
वो बे दिल जाम ए सातेज़ हुआ चाहती है ---- 10
जाम ए सातेज़ ( जाम की नकल , जाम की तरह )