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MS Mughal

Drama Others

4  

MS Mughal

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क्या क्या हुआ चाहती है.....

क्या क्या हुआ चाहती है.....

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हर दिल ए अज़ीज़ हुआ चाहती है 

गिरते शबाब नौ खैज़ हुआ चाहती हैं ---- 01


गिरते शबाब ( गिरती जवानी ) 

नौ खैज़ ( जवान ) 


आब ओ शबनम की रंग ओ बू में 

कई खाक ए जरखैज़ हुआ चाहती है ----- 02  


खाक ए जरखैज़ ( उपजाऊ मिट्टी ) 


बे आबरू इश्क़ ए बे वफ़ा बा खुदी में 

बा आबरू ए परवेज़ हुआ चाहती है ----- 03 


बा खुदी ( घमंड के साथ ) 

बा आबरू ए परवेज़ ( बादशाहि इज़्ज़त व अंदाज़ ) 


ताब अ क़मर व रश्क ए अंजुमन में 

बे पर्दा महव ए आमोज़ हुआ चाहती हैं ---- 04 


बे पर्दा महव ए आमोज़ ( बे पर्दा पर्दा सीखने में मशरूफ ) 


जुस्तजू ए कत्ल ए कातिलाना निगाह 

शमशीर खूं ए मआरेज़ हुआ चाहती है ---- 05


खूं ए मआरेज़ ( खून से लत पत ) 


रंग ब रंगी बे खार गुलो को देख कर 

सरवत ए रंग ए रंगरेज़ हुआ चाहती है ---- 06 


सरवत ए रंग ए रंगरेज़ ( शोहरतमंद रंग रंगने वाले , रंग रंगने में महारत रखने वाले ) 


गूं ब गूं गो म गो में निकलते नहीं तेवर 

बे तेवरी खंजर ए चंगेज़ हुआ चाहती है ---- 07 


गूं ब गूं ( डर से डरकर ) 

गो म गो ( बात पर बात ) 

खंजर ए चंगेज़ ( चंगेज़ खान का खंजर ) 


दर ब दर जा ब जा कु ब कु घूम कर 

खुद दिल ए ख़ुद आवेज़ हुआ चाहती है ---- 08 


खुद दिल ए ख़ुद आवेज़ ( खुद दिल को खुद से पेश करने वाला ) 


रंज ओ अलम में देख तिरछी निगाह से 

बा खुश ए गम अंगेज़  हुआ चाहती है ---- 09 

    

बा खुश ए गम अंगेज़ ( खुशी के साथ दर्द बढ़ाने वाला )  


मयखाने में गम को  भुलाए केसे 'हसन' 

वो बे दिल जाम ए सातेज़ हुआ चाहती है ---- 10 


जाम ए सातेज़ ( जाम की नकल , जाम की तरह ) 



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