रूहानियत (روحانیت)
रूहानियत (روحانیت)
कागज़ की दहलीज पर एहसास की ताबीर हमने रख दी,
उस रात की सारी कहानी कह दी।।
कुछ किस्से थे कुछ फसाने थे,
एक शिद्दत से हमने बुने कुछ अफसाने थे!!
उस रोज़ हम ज़रा बा –दस्तूर हुए,
एक हद थी उसे पार कर गए,
उस कुर्बत के एहसास को हमने लिखा,
उसकी ताबीर पर दिल था फिदा।।
कागज़ की दहलीज पर एहसास की ताबीर हमने रख दी,
उस रात की सारी कहानी कह दी।।
कुछ किस्से थे कुछ फसाने थे,
एक शिद्दत से हमने बुने कुछ अफसाने थे!!
उसके मुंताजिर में दिन रात खाली से है,
उसकी जुस्तजू में हम थोड़े होश थोड़े मदहोश से है,
एक सहर काश जिंदगी को हासिल हो,
जिसमें बस तू हकीकत सा हो और सब ख्वाबीदा हो।।
कागज़ की दहलीज पर एहसास की ताबीर हमने रख दी,
उस रात की सारी कहानी कह दी।।
कुछ किस्से थे कुछ फसाने थे,
एक शिद्दत से हमने बुने कुछ अफसाने थे!!
इन झुकी आंखों में एक लिहाज़ था,
इन आंखों की नमी में एक ज़िक्र था,
खुदा की इनायत सा उसे संभाला है,
इस सफ़र में एक बस वो मुसलसल सा है।।
कागज़ की दहलीज पर एहसास की ताबीर हमने रख दी,
उस रात की सारी कहानी कह दी।।
कुछ किस्से थे कुछ फसाने थे,
एक शिद्दत से हमने बुने कुछ अफसाने थे!!
मेरे लिखे नगमों का वाबस्ता उससे है,
मेरी दिन और रात का वजूद उस आफताब से है,
ये रिवायतें कैसी है,
ये मुलाकात एक नवाज़िश सी है।।