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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Tragedy Classics

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Tragedy Classics

सही कुत्ते की पहचान

सही कुत्ते की पहचान

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आज सही कुत्तों की कर तू पहचान

आजकल के इंसानी कुत्ते बड़े शैतान

पशु कुत्तों को व्यर्थ कर रखा बदनाम

गज की मस्ती में चल,रह सावधान


पशु कुत्ते रोटी खाकर पूंछ हिलाते,

इंसानी कुत्ते रोटी खाकर भौंहे चढ़ाते,

इंसानी कुत्तों को दूर से कर प्रणाम

आज सही कुत्तों की कर तू पहचान


पीछे देख,आगे देख हर तरफ देख,

सही कुत्तो की नस्ल को तू ले जान

पशु कुत्ते वफादारी की होते है,शान

इंसानी कुत्ते होते है,धोखे की खान


पहले के कुत्ते पीछे भौंकते रहते थे,

और हाथी से मस्ती चलते रहते थे,

पर आज कुत्तों का बदला है,स्थान

कुछ मनु ने लिया,भौंकने का काम


जिनसे कुछ काम नही हो पाता

भौंककर गुजारा करते है,वो इंसान

इंसानी कुत्ते भौंकते के साथ-साथ

पीछे कर रहे है,हमारा काम-तमाम


आज सही कुत्तों की कर तू पहचान

इंसानों कुत्तों से पशु कुत्ते बड़े हैरान

वफादारी का छोड़ सब गुण ले लिया,

वाह इंसानी कुत्ते कैसे करे तेरा मान?


गज मस्ती साथ बाघ दहाड़ जरूरी है,

नही तो इंसानी कुत्ते छीन लेंगे तेरे प्राण

इसलिये साखी,यह बात समझ सांची,

इंसानी कुत्तों से दूर रह,यह होते हैवान


जिस थाली में इंसानी कुत्ते खाते है

उसी थाली में कर देते है,छेद महान

आज सही कुत्तों की कर तू पहचान

तू सतर्क रह, इंसानी कुत्ते बड़े शैतान।


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