वर्चुअल खुशियों के धोखे से निकले हम , इंसानी दुनिया में खुशहाल रहें। वर्चुअल खुशियों के धोखे से निकले हम , इंसानी दुनिया में खुशहाल रहें।
पड़ोस के जलते मकाँ कि आग अभी दूर है, अभी कहाँ ख़ाक हुआ है सब आग की गरमाहट से ज़रा पड़ोस के जलते मकाँ कि आग अभी दूर है, अभी कहाँ ख़ाक हुआ है सब आग की गरमा...
इंसानी फितरत को ये किवाड़ सदियों से जानते पहचानते हैं। इंसानी फितरत को ये किवाड़ सदियों से जानते पहचानते हैं।
कभी हवा के झोंके से डरें नहीं। आंधियाँ भी रूख बदल लेती हैं। कभी हवा के झोंके से डरें नहीं। आंधियाँ भी रूख बदल लेती हैं।
इनसे भी बढ़कर इंसानी मूर्खता- नहीं होने दे रही कोई नरमी, इनसे भी बढ़कर इंसानी मूर्खता- नहीं होने दे रही कोई नरमी,
आज सही कुत्तों की कर तू पहचान तू सतर्क रह, इंसानी कुत्ते बड़े शैतान। आज सही कुत्तों की कर तू पहचान तू सतर्क रह, इंसानी कुत्ते बड़े शैतान।