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Uday Veer

Drama Inspirational

4  

Uday Veer

Drama Inspirational

मां की ममता

मां की ममता

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हर दूसरे घर की यही कहाँनी, मां की ममता औलाद से हारी

हर दर्द को सहती, किसी से ना कहती

लाख दर्द, सहकर दुनिया के

हर रोज है जीती, हर रोज है मरती


खुद जमाने की मुसीवतें है सहती,

औलाद को कोई दुख ना होने देती

दिन भर कमाती, दो जून की रोटी जुटाती

बच्चों को खिलाती, प्यार से सुलाती

जो बचता उसी को, खाकर काम चलाती


और ना बचने पर, भूखी ही सो जाती

लोग कहते हैं पहली मोहब्बत, कभी भुलाई नहीं जाती

फिर मां की ममता जमाने में, क्यों परायी हो जाती

जमाने भर की ठोकरें खाती,

औलाद को ठोकरें खाने से बचाती


फिर क्यों वही ममता की मूरत जमाने में,

ठोकरें खाने के लिए छोड़ दी जाती

अरे डूब मरें वो लोग जो कहते हैं कि,

पहली मोहब्बत कभी भुलाई नहीं जाती


अगर सच हैं तुम्हारी बातें तो क्यों,

मां की मोहब्बत भुला दी जाती

जिस मां के लिए बचपन में लड़ते हैं,

>

कि मां मेरी है मां मेरी है


बड़े होकर उसी ममता की मूरत से दूर भागते हैं,

कि मां तेरी है मां तेरी है

बचपन में जो देवी, तेरा जीवन सजाती है

आगे चलकर वही ममता की मूरत, तेरे लिए क्यों पराई हो जाती है


जो देवी तुझे, इस दुनिया में लाती है

वही ममता की मूरत तेरे द्वारा, क्यों चकनाचूर कर दी जाती है

(शायद लोग सही कहते हैं, कि इतिहास खुद को दोहराता है)


जिस मां ने कल, तेरे लिए दुख उठाये

कल वही मां तेरे द्वारा, दुखों के गर्त में धकेल दी जाती है

''भर गया मन तेरा, या छ्ल अभी बाकी हैं


सम्भल जा जरा प्रलय में, दो पल अभी बाकी हैं

पहचान मां की ममता को, सुधार अपने कर्मों को

सम्भल गया अभी जो तू, पहचान मां की ममता को

माफी मांग अपने कर्मों की, पापों से तू तर जायेगा

गर अब भी ना मानेगा तू तो, महा प्रलय हो जायेगा

धरती फटेगी आसमां जलेगा, और तू रसातल में समा जायेगा'।


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