अलग हैँ पर गलत नही ..
अलग हैँ पर गलत नही ..
अपने बच्चों को हम से दूर रखने के लिए,
हमें ज़िम्मेदार ठहराया जाता है...
हमारे कुछ हक़ हमसे छीन ने के लिए,
हमें ज़िम्मेदार ठहराया जाता है... लेकिन क्यों..?
क्योंकि मैं एक हिजड़ा हूं, किन्नर हूं या ,
आपके शब्दों में कहूं तो छक्का हूं...
यार फिर भी सबसे ज़रूरी बात मैं एक इंसान हूं..
बुरा लगता है जब ख़ुद की हंसी उड़ते हुए देखना पड़ता है,
लोग खिल्ली उड़ा रहे होते हैं..
हारा हुआ सा महसूस हो रहा होता हैं,
यकीन टूट रहा होता हैं क्योंकि सबसे ज़रूरी बात में इंसान हूं...
लेकिन सबसे ज़रूरी सवाल आपसे कि क्या,
यह सब करने के बाद क्या आप इंसान हैं...?