फ़साने
फ़साने
कुछ मैंने कसमें खाई थी,
किये कुछ तुमने थे वादे,
समय की चाल जब बदली,
तो बादल गम के थे लादे,
चली जाती हो तुम बस दूर,
मैं यूं देखता रहता,
तुम्हें पाने की हसरत में,
हैं जमाने भर रहे आधे ।।
जो ये कहते न थकते थे,
की वो मेरे दीवाने हैं,
मिले जब आज महफ़िल में,
लगे कितने बेगाने हैं,
वो मुझसे और उनसे मैं,
कभी ये कह नहीं पाए,
कि दफन दोनों के दिल में,
और कितने ही फसाने हैं।।
बताएं ये तुम्हें कैसे ,
कि तुम अनमोल हो कितने,
तुम थी हर सांस में शामिल,
की गाए गीत तब जितने,
भरी महफ़िल में तुम जबसे हुए,
रुसवा इधर हमसे,
कलम बस रुक सी जाती है
हुए मजबूर हम इतने।।