आसां नहीं हैं राह जीवन की
पल पल में यहां फासले और मंजिलें बदलती हैं।
"शुभ"
आज आजमा ही लो खुद को कदम बढा के,
राह आसां कोई भी नहीं है।
शुभ
अजीब फसाना है जीवन
गाना सभी एक सा है पर
सरगम सबकी अलग है।
राह आसान नहीं होती परिंदों की,
पर उन्हें अपने परों पर भरोसा बहुत होता है।
दिनेश सेन "शुभ"
आँधियां आऐं हजारों इक कदम न तू भटक
हो निडर निश्छल निकट रख हौसला संसार में
बन न पाया तू गर दिन में दिनकर तो
जुगनू बन चमक अंधकार में.....
दिनेश सेन "शुभ"