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Abhishek Singh

Romance

3  

Abhishek Singh

Romance

बूँदों के बाण्ड..!

बूँदों के बाण्ड..!

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थी ख़ुशी या थे ग़म

वो हर पल थे मेरे संग

चाहे थी सर्दी या थी गर्मी

या हो बूँदों की वो नर्मी


भीगा उन्हें ख़ुद जल जाते

बूँदें बन फिर ऊपर से आते

हर बूँद फिर जिस्म को छनकाते

हमको पल-पल घायल करते ही जाते


एक पल ठहर रहम कर मुझ पर

बूँदों के बाण्ड और न चला तूँ उनपर

हैं इश्क़ वो मेरी मैं उनका प्रिये

दर्द उनको कभी न मैंने इतने दिये।


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