अर्थव्यवस्था हालात खस्ता
अर्थव्यवस्था हालात खस्ता
कोविड की पड़ी ऐसी मार
श्रमिक हो गए सब बेकार,
नहीं मिले अब ऋण उधार
दुख में है बच्चे और नार।
सेंसेक्स गिरता ही जा रहा
कोरोना में करते हाय हाय,
उद्योग धंधे हो चुके हैं बंद
श्रमिक लौटकर घर आए।
जनता की है हालत खस्ता
घर चले विद्यार्थी ले बस्ता,
उद्योगों ने दिखा दिया रस्ता
किसानों की हालत खस्ता।
दुकानों पर लग चुके ताले
फैक्ट्रियों को कौन संभाले
रोटी रोजी के पड़े हैं लाले
कोरोना महामारी प्रभु टाले।
अर्थव्यवस्था हो चुकी नंगी
सरकार समक्ष धन की तंगी,
नौकरियां भी नहीं भली चंगी
मजदूर बन गए अब मलंगी।
लॉक डाउन का यह भूचाल
अर्थव्यवस्था हो गई बदहाल
विपत्ति में कोई चलता चाल
हाल हो गया ज्यों महाकाल।
सूझता नहीं अब कोई रस्ता
अर्थव्यवस्था हालत खस्ता
कोरोना रोग सांप सा डसता
बालक बूढ़ा कोई ना हंसता।
अर्थव्यवस्था यूं गिर जाएगी
जन को तब बहुत रुलाएगी
बहुत बुरी बनी है महामारी
पूरी सृष्टि इस समक्ष हारी।
