ये बॉस कहलाते हैं
ये बॉस कहलाते हैं
हेकड़ी जताना हरदम
अधिकार में जिनके आते हैं
कार्यालय में दिखने वाले,
ये प्राणी बॉस कहलाते हैं
काम करे कोई
नाम इनके होते हैं
हर वक्त जिम्मेदारियों का
रोना ये रोते हैं,
जैसे सिर्फ ये ही
कंपनी के काम आते हैं,
जी हां ये बॉस कहलाते हैं।
हर वक्त हर किसी से
डींगे हांकना इनका काम है
खुद को सबसे बेहतर दिखाकर
बनाते ये अपना नाम हैं,
लेकर क्रेडिट औरों का
मन ही मन इठलाते हैं,
तभी तो ये बॉस कहलाते हैं।
दुविधा की ये खान हैं होते
पर खुद पर अधिकार ना खोते,
करते ना निवारण शंका का
खुद अक्सर संशय में होते,
प्रश्नों का प्रश्नों से उत्तर
दे, सबका मन बहलाते हैं,
हे भगवान, ये बॉस कहलाते हैं।
आसान नहीं वर्णन करना
अपने रुतबे से इनका प्यार
खुद में कमियां सुनते ही
हो जाते हैं ये बेकरार,
असुरक्षा के भय
सदा हीं इन्हें सताते हैं,
फिर भी ये बॉस कहलाते हैं।
गर कोई काम करे दिल से
बोझ उन्हीं पर डालें ये
करे पसंद खुशामद अपनी
चमचों के रखवाले ये
जो करे विरोध कोई इनका
उनसे तारे गिनवाते हैं
बच के रहना, ये बॉस कहलाते हैं।
अक्सर ये सोच मुझे आता
हैं कितने किस्मत वाले ये,
ना काम काज भले करते
पर करते हैं मनमानी ये,
उनकी नज़रों में गधे हैं वो
जो कर्म का धर्म निभाते हैं,
जो करे सवारी उन गधों की
वही तो बॉस कहलाते हैं।
