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Sarita Dikshit

Comedy Children

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Sarita Dikshit

Comedy Children

दो बहनों की नोक झोंक

दो बहनों की नोक झोंक

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यौवन पर इठलाती इक दिन, सौंफ थिरकती मद में चूर,

जितनी कमसिन दिखती हूँ मैं, गुण से भी हूँ मैं भरपूर।


मेहमानों के दिल में बस्ती, घरवालों की हूँ अरमान,

घर बाहर सब करें पसंद, हर महफिल की हूँ मैं शान।


आयुर्वेद की मुझमें खूबी, स्वाद मेरा सबको भाए,

बड़े चबाते किसी समय भी, बच्चे मिश्री संग खाएँ।


वज़न घटाने को करती हर, नारी मेरा सही प्रयोग,

स्वस्थ दिमाग और आँखों हेतु, लोग करें मेरा उपयोग।


मुँह का मैं दुर्गंध मिटाऊँ, सांस करूँ तारो-ताज़ा,

भोजन को सुपाच्य करूँ मैं, खाए रंक या फिर राजा।


ये सब सुनकर ज़ीरा बोली,इतना क्यूँ इठलाती हो,

हम दोनों एक कुल से आए,मुझको क्या जतलाती हो।


भले रंग मेरा धूमिल,पर गुणो की मैं भी खान हूँ,

मेरे बिन क्या स्वाद का तड़का, रसोई की मैं जान हूँ।


सूप या सब्जी,दाल या जूस, मुझ बिन सभी अधूरे हैं,

सेहत संग मैं स्वाद बढ़ाऊँ,औषधीय गुण भी पूरे हैं।


कमी न मुझमें तुझसे कोई, चार कदम बढ़के ही हूँ,

बावर्ची खाने की शोभा, यौवन में भी चढ़ के हूँ।


तू है मीठी, मैं हूँ तीखी,स्वाद बढ़ाएँ घर घर में,

चल बहना न करे लड़ाई, हो रहा दर्द मेरे सर में।


बहनों की ये बातें सुनकर, सोच में मैं भी यूं डूबी,

कौन है अच्छा, कौन बुरा है, दोनों की अपनी खूबी।


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