तो है कुबूल मुझे
तो है कुबूल मुझे
ये दर्द तुमने दिया है, तो है कुबूल मुझे।
यही उल्फत का सिला है, तो है कुबूल मुझे।
अपने हर जख्म का बदला, जख्म से ले लेता
ये जख्म तुमसे मिला है, तो है कुबूल मुझे।
कितनी शिद्दत से मेरे दिल ने तुम्हें चाहा है
जफ़ा ही तेरी अदा है, तो है कुबूल मुझे।
रूठना शिकवे करना ,फलसफा है उल्फत का
तुम्हें न मुझसे गिला है, तो है कुबूल मुझे।
हमने सदियाँ गुजार दीं, खिजां के मौसम में
तेरे गुंचे में फिजां हैं, तो है कुबूल मुझे ।
यूँ तो देखी नहीं कोई राह, तेरे घर के सिवा
दर बदर तुमने किया है, तो है कुबूल मुझे।

