आँचल से पोंछती पसीना सफ़ाई से करती बहाना शायद बी पी का है बढ़ जाना ... सब समझता हूँ। आँचल से पोंछती पसीना सफ़ाई से करती बहाना शायद बी पी का है बढ़ जाना ... ...
मैंने शायरी तो मार दिया पर ये भूल गया कि जैसे बाप बाप होता है वैसे ही माँ, माँ होती है मैंने शायरी तो मार दिया पर ये भूल गया कि जैसे बाप बाप होता है वैसे ही माँ, माँ...
मेरी फिकर को भी ले उड़े ये यार बहके से हैं मेरी फिकर को भी ले उड़े ये यार बहके से हैं
कड़ – कड़ कड़के जब बिजुरिया। देहिया सिहर जाले मोर सेजरिया। कड़ – कड़ कड़के जब बिजुरिया। देहिया सिहर जाले मोर सेजरिया।
दरारों से जब रिश्ते झांकने लगे। दरवाजे खुल जाने चाहिए। दरारों से जब रिश्ते झांकने लगे। दरवाजे खुल जाने चाहिए।