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Savita Gupta

Inspirational

4  

Savita Gupta

Inspirational

माँ के किस्से

माँ के किस्से

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सुबह सबेरे चौबारे पर

आस्था का एक दीया

रख ,गीले बालों में बाँध 

अपनी सारी तकलीफ़ें ...।


घर के जाले में उलझी

पेट की अग्नि के ताने बाने

स्वेद कण में ममता घोल

तृप्त करती जायके से।


आँचल से पोंछती पसीना

सफ़ाई से करती बहाना 

शायद बी पी का है बढ़ जाना ...

सब समझता हूँ माँ!


कोई कहता नहीं तुझसे...

घड़ी भर बैठ सुस्ता तो लो

आज काम से छुट्टी कर लो

तनिक अपनी भी सुध लो।


दिन भर के सबके क़िस्से 

सुलझाती जो आते तेरे हिस्से 

अपनी परेशानी को कपड़ों 

संग तह कर बंद कर देती।


कैसे कह दूँ तुझसे 

कितनी भोली है तू।

झाड़ू के ग़ुबार में,

कब तक उड़ाती रहोगी

मन के उद्गार माँ!


घर को आईने सा पोंछती

संतुष्टि चेहरे पर लाती 

ख़ुद को शीशे में देखकर

थोड़ा ख़ुद को भी सँवार लो ना माँ!


 



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