तुलसी विवाह देवोत्थान एकादशी
तुलसी विवाह देवोत्थान एकादशी
प्रति कार्तिक शुक्ला एकादशी को ,
पूजन होता पौधा तुलसी का !
स्वास्थ्य का वर मिले नित्यप्रति,
औषधि है ये पौधा असली का !
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष को ,
देवउठान एकादशी आई है !
प्रबोधिनी और शुभ देवोत्थान को ,
देव पूजन की एकादशी कहलाई है !
भगवान विष्णु की अनंत योगनिद्रा ,
उठकर जागे जो पालनहारा !
हरि वासर अर हरि के प्रतिदिन ,
श्रीविष्णुजी भक्तों के हैं आधारा !
दस एक इंद्रियों के जो हैं स्वामी ,
उनका भक्त और देव का नाता है !
एकादशी के दिन उपवास पूजन ,
मन ध्यानी और तन सध्यस्नाता है !
तुलसी पर्यावरण के परम रक्षक ,
पाप संताप के दुर्दभ और संरक्षक है !
दुख-कष्ट हरण और विलासी सुखरासी ,
जीवनयापन के योग का अंगरक्षक है !
मनोवांछित और अति फलदायक ,
स्वच्छता का अलौकिक प्रकाशक है !
भवभयहारी मनोहारी लाभदायक ,
अगोचर अविरल सर्वविध्नविनाशक है !
दीर्घायु का अति शुभ वरदान है तुलसी ,
रखे चहुंओर स्वस्थ शरीर मन अधीर !
जागृत का यही साक्षात स्वरूप है ,
तुलसी का बिरवा लगाएं घर धर धीर !
स्वच्छ पवित्र देती यह प्राणवायु ,
स्वस्थ प्रसन्न रहे समस्त सृष्टि के प्राणी !
स्वच्छ निरोग रहे पर्यावरण प्रणिता ,
शुभेच्छा जनाती करे ना कभी कोई हानि !
तुलसी के तृण व सृष्टि से जुड़ा जीवन ,
वृन्दा इनका प्राचीन मूल एक नाम है !
सालिकराम से विवाह हुआ फलीभूत ,
वे श्रीकृष्ण भगवान का एक प्रतिमान है !