भरपूर दें हम हिंदी को प्यार
भरपूर दें हम हिंदी को प्यार
अपनेपन के भाव संग यह है ,
अखिल जगत अपना परिवार।
हर संस्कृति और भाषा है प्यारी,
भरपूर दें हम सब हिंदी को प्यार।
किसी क्षेत्र की अपनी भाषा,
उसकी संस्कृति की परिचायक है।
जन-जन समझे इसको विधिवत,
सीखना इसमें उत्तम फलदायक है।
निज संस्कृति के पोषण हित हम सब,
करना होगा हिन्दी को बहुत दुलार।
हर संस्कृति और भाषा है प्यारी,
भरपूर दें हम सब हिंदी को प्यार।
दूजी भाषाओं को भी हम सब देते हैं,
और सदा देते ही रहेंगे समुचित मान।
जो पुष्ट और सम्पन्न बनाता हो हमको,
करते ही रहेंगे अर्जित हम वह सब ज्ञान।
अतिथि देव सम और जग कुटुम्ब सम,
निज संस्कृति का जग जाहिर अपना व्यवहार।
हर संस्कृति और भाषा है प्यारी,
भरपूर दें हम सब हिंदी को प्यार।
साहित्य रूप के दर्पण से हम सब मिलकर,
जननी हिंदी भाषा का विधिवत श्रृंगार करें।
हिंदुस्तान का गौरव है प्यारी अपनी हिंदी,
जन-जन अंतर्मन से ही यह स्वीकार करें।
बन प्रेरक जन-जन को करके प्रेरित कहें,
हम हिन्दुस्तानी और हिंदी भारत का हार।
हर संस्कृति और भाषा है प्यारी,
भरपूर दें हम सब हिंदी को प्यार।