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Apoorva Dixit

Inspirational

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Apoorva Dixit

Inspirational

है हार नहीं स्वीकार मुझे

है हार नहीं स्वीकार मुझे

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जब हर इक सपना टूटा हो,

और भाग्य भी तुमसे रूठा हो,

जब दर्पण तुम पे हंसता हो,

मन में छाई नीरसता हो,

तब ठान ठान लेना मन में

है हार नहीं स्वीकार तुम्हें।।


पथ में यदि तुमको शूल मिलें,

ना दिखे नदी का कूल तुम्हें,

तुम धाराओं से लड़ जाना,

आगे उन पर ही बढ़ जाना,

उद्घोष यही करना जग में,

है हार नहीं स्वीकार तुम्हें।।


जब छत्र न सिर कुल यश का हो,

पीना पड़ता घट विष का हो,

जब तिमिर भरी हर निशा मिले,

हर अंधकारमय दिशा मिले,

कहते जाना तुम पग पग पे,

है हार नहीं स्वीकार तुम्हें।


चहुं ओर निराशा छाई हो,

शर व्यंग्य द्वेष के लाई हो,

निज धैर्य न साहस खोना तुम,

विघ्नों से न डर कर रोना तुम,

प्रण मान यही कहना है तुम्हें,

है हार नहीं स्वीकार मुझे।।

है हार नहीं स्वीकार मुझे।।


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