जलते हुए महल, भूमि पे पड़े शव, और बुद्ध का जन्म, बसन्त का आ जाना। बुद्ध का अवाक रह जाना। जलते हुए महल, भूमि पे पड़े शव, और बुद्ध का जन्म, बसन्त का आ जाना। बुद...
अब मैं स्वतंत्र हूं स्वच्छंद हूं अब मैं स्वतंत्र हूं स्वच्छंद हूं
सब कुछ स्वीकार अर्थात समझा जा सकता है है ना सखी। सब कुछ स्वीकार अर्थात समझा जा सकता है है ना सखी।
मंजिल थोड़ी दिखने लगी,जिसके ऊपर ध्वज चढ़ा, बस बाहें बढ़ाकर थामना है,अभी खुद को भटकने न दे, अभी मशा... मंजिल थोड़ी दिखने लगी,जिसके ऊपर ध्वज चढ़ा, बस बाहें बढ़ाकर थामना है,अभी खुद को ...
सबको खुद सा समझते हुए सबकी ग़लतियों को खुद की गलती समझते हुए उसे सुधारने का। सबको खुद सा समझते हुए सबकी ग़लतियों को खुद की गलती समझते हुए उसे सुधारने...
मातृभूमि पर मर मिटने की भक्ति है हिन्दी मातृभूमि पर मर मिटने की भक्ति है हिन्दी