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Surendra kumar singh

Abstract

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Surendra kumar singh

Abstract

एक अवसर है

एक अवसर है

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एक अवसर था

खुद से मिलने का।

मिले तो लगा

सब कुछ मिल गया है,

और यह कोई

उद्घोष नहीं है

न ही इति जीवन की

प्राप्तियों का।

एक आरम्भ है

एक अवसर की तरह

सबको खुद सा समझते हुए

सबकी ग़लतियों को

खुद की गलती समझते हुए

उसे सुधारने का।

हमारे लिये

जीवन युद्ध में

शब्द ही हथियार हैं

और इन्हीं से

उन तमाम बुराइयों को

समाप्त करना है

जिनसे हम घिरे हुये हैं।

बार बार हमने खुद से

युद्ध किया है

और खुद को जीता है

और दुनिया को

अपना बनाया है।


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