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DR ARUN KUMAR SHASTRI

Classics Fantasy Inspirational

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DR ARUN KUMAR SHASTRI

Classics Fantasy Inspirational

समरसता

समरसता

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शब्द तो शब्द है सखी 

क्या तेरे क्या मेरे 

इनका न कोई रूप 

न कोई रंग 

फिर भी सुनहरे 


दिल से समझे 

तो सार्थक 

अन्यथा निरर्थक 

परिणाम मिलेंगे दिमाग से समझे तो 

लेकिन उल्झे अनुमान भी मिलेंगे 

अर्थ का अनर्थ करोगे 


मेरा तात्पर्य आपको 

भ्रमित करने का कदापि नही 

सामन्य सी मानसिकता को 

समझने और समझाने का है 

अच्छा ये बताइये


क्या आप सब कुछ जानते हो 

या जान सकते हो 

मेरे ज्ञान अनुसार नही 

फिर दिल से समझो तो शायद 


सब कुछ स्वीकार 

अर्थात समझा जा सकता है 

है ना सखी।


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