।। नव वर्ष ।।
।। नव वर्ष ।।
ढल चुकी है शाम यारो,
ये साल अब जाने को है,
लो कुछ तो संकल्प नये,
साल नया आने को है।।
फिर से उम्मीदें का रेला,
कितनी ही आशा लिये,
भूल कर पिछली विफलता,
फिर सुर नया गाने को है।।
कुछ तराने जीवन में ऐसे,
जिनके सुर थे सधते नहीं,
ठान कर बैठा है दिल अब,
साल ये गुनगुनाने को है।।
शब्द कितने हैं ज़ेहन में,
कविता में ना हुए समाहित,
महफिलों दिल थाम लो ,
अब गीत नया आने को है।।
ऐसा नहीं कि मायूस हूँ मैं,
या कि फिर कुछ टूटा हूँ मैं,
कुछ जो अपने छूट गये,
यादें अश्क भिगाने को हैं।।
बस ठहर, रुक मुड़ के देख,
दहलीज़ पर अब है खड़े,
क्या क्या छोड़ूं ये फैसला,
क्या साथ ले जाने को है।।
फिर से हवाएं महफूज़ हौं,
रौनकें महफ़िल में फिर से,
ऐ साल आमद पे तेरी अब,
हर लब दुआ आने को है।।