हार जाए जो मस्तिष्क से सुडौल शरीर भी व्यर्थ है मन मे गर सच्ची लगन हो तो क्या है जो हो नहीं ... हार जाए जो मस्तिष्क से सुडौल शरीर भी व्यर्थ है मन मे गर सच्ची लगन हो तो ...
पल भर दुख पर अनंत खुशी क्यों ढले नव युग की राह को मोड़ते हम चलें।। पल भर दुख पर अनंत खुशी क्यों ढले नव युग की राह को मोड़ते हम चलें।।
ईर्ष्या स्वार्थ से बचते हुए ईर्ष्या स्वार्थ से बचते हुए
और आगे बढ़े तो आशाओं का द्वार और खुला आसमान। और आगे बढ़े तो आशाओं का द्वार और खुला आसमान।
ये सुनहरी रात मृगतृष्णा के समान विफलता। ये सुनहरी रात मृगतृष्णा के समान विफलता।
ऐ साल आमद पे तेरी अब, हर लब दुआ आने को है।। ऐ साल आमद पे तेरी अब, हर लब दुआ आने को है।।